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कृषि व्यवस्थाओं का आधुनिक प्रबंधन

कृषि व्यवस्थाओं में कमीः देश में किसानों के उत्थान/जागरूकता और वित्तीय सहायता के लिए सरकार लगभग 19 योजनाओं का प्रकल्प चला रही है। सरकार विभिन्न प्रकल्पो के माध्यम से पूरा करने का प्रयास भी करती है। फिर भी सरकार विफल हो जाती है, इतने प्रकल्पो के बाद भी देश के किसानों की स्थिति दयनीय है। इससे प्रतीत होता है कि कही न कही इन योजनाओं और व्यवस्थाओं में बहुत बड़ी कमी है। कही न कही सरकारी तंत्र और राजनीति पूरी तरह से इन योजनाओं पर हावी है। क्योंकि प्रत्येक सरकार का एक एजेंडा फिक्स है। किसानों को मेरी सरकार द्वारा हर संभव मदद दी जाएगी। और मर हम के रूप में अनुदान और कर्ज माफी का चुनावी वादे किये जाते है। फिर भी किसानों की स्थिति को सुधार पाने में सरकार असफल रही है। कारण उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार। जो किसान को स्थानीय स्तर पर झेलना पड़ता है और तंग आकर किसान आत्महत्या जैस प्रयास करने के लिए मजबूर तक हो जाता है। हमने किसानों की मुख्य तीन समस्यों को समझा है जो इस प्रकार है :-

  • फसल बीज एवं उर्बरक :- किसान की पहली समस्या सही समय पर बीज और खाद की उपलब्धता है। स्वतंत्रता के बाद भी, आज तक हम इन प्रणालियों में बेहतर पारदर्शी सुधार करने में विफल रहे हैं। आज भी किसानों को छोटी कृषि वस्तुओं के लिए स्थानीय भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। इस कारण भी, किसानों को कालाबाजारी की शर्तों को स्वीकार करना पड़ता है।
  • सिचाई हेतु जलः- एक और समस्या है, सिंचाई के लिए पानी की कई समस्याएं हैं जैसे: यदि बहुत अधिक बारिश हो जाये, तो बाढ़ की समस्या होती है और कम वर्षा हो जाये तो, सूखे की समस्या आ जाती है। भूजल की समस्या बढ़ती ही जा रही है। इस तरह, किसान निजी संसाधनों की मदद से सिंचाई करता है और इन तमाम चुनौतियों के बावजूद भी किसान बेहतर उत्पादन कर रहा है।
  • फसल संरक्षण एवं अनाज की सुरक्षा एवं उचित दामः- वर्तमान में, सरकार फसल सुरक्षा की गारंटी देती है, लेकिन खाद्यान्न की सुरक्षा की गारंटी नहीं देती है। भारत में भंडारण की कमी के कारण, प्रति वर्ष उत्पादन का 50 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है। आज तक, सरकारें न तो खाद्यान्न की सुरक्षा तय कर सकीं और न ही किसानों को मूल्य की गारंटी दे सकीं। इसके कारण स्थानीय व्यापारी और अधिकारी किसानों की लाचारी का फायदा उठाते हैं। जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।

कृषि समाधान नीति 2019

भारतीय पहचान प्रणाली के लागू होने पर, देश के किसानों के आँकड़े स्पष्ट होंगे। हमारी सरकार देश के छोटे-बड़े सभी किसानों की स्थिति का आकलन और  मूल्यांकन करने और उनको एकीकरण करने की प्रणाली को विकसित किया है।   जिसके तहत देश के किसानों को इंपैनल करके पारदर्शी प्रबंधन किया जायेगा। इस प्रणाली में जो किसान स्वयं की भूमि पर खेती करते है और वे किसान जो बटाई दार के रूप में खेती कराते है। वे अपना पंजीकरण स्वयं कर सकते है, या किसी से करवा सकते है।

इस प्रणाली द्वारा हम किसानों की स्थिति जैसे: देश में कितने किसान है, कितने हेक्टएर भूमी पर खेती करते है और उनकी निर्भरता कितनी है। जब तक यह आँकड़ा स्पष्ट नही होगा। तब तक हम कोई भी योजना क्यों न बना ले? देश के उन किसानों तक नही पहुँच सकते जो केवल कृषि पर निर्भर है। हम छोटे किसानों का उचित मार्गदर्शन कर उन्हे वर्ष भर लाभ देने वाले ऐसे फसल की प्रशिक्षण और उसे पैदावार को बढ़ाने की प्रेरणा देंगे। जिनसे वह किसान स्वालम्बी बन सके। सर्वप्रथम हमें इस पर काम करना होगा। जिससे सरकार अपनी योजनाओं का सीधा लाभ किसान को दे सकेगी।

आज तक सरकार कृषि उत्पादन फसलों के लिए एक संतुलन प्रणाली विकसित नहीं कर पाई है। जिसके कारण कभी-कभी अनाज की अधिकता होती है और कभी-कभी कमी। इस प्रकार, रखरखाव न होने के कारण किसान को सही मूल्य, अपव्यय आदि की समस्या का सामना करना पड़ता है। हमने इस समस्या को हल करने के लिए ऐसी प्रणाली विकसित की है। इसके माध्यम से यह ज्ञात होगा कि देश में अनाज, फल और सब्जियों की कमी है। उनके अनुसार, किसान को सबसे पहले इस बात की जानकारी दी जाएगी कि किस मात्रा में किन फसलों की जरूरत है। इससे अनाज का संतुलन बना रहेगा और मुद्रास्फीति में स्थिरता आएगी।

कृषि योजनाओं का स्थाई विकल्प पर देश की सरकार को विचार करना चाहिए। क्योंकि किसान देश के जीवन दाता है। इस क्षेत्र में बड़े व्यवसाय के साथ लोगों को  आत्मनिर्भर बनाने की असीम सम्भवनाये व्याप्त है। फिर भी, देश का किसान कर्ज़दार और बदहाल है। यह सब देख कर लगता है कि वर्तमान किसान राजनीति का शिकार है।

हमारी सरकार किसानों की हर मूल समस्या के समाधान के लिए दृढ़ संकल्प है।  हम  उनकी छोटी सी छोटी कमियों को गंभीरता से लेते हुए कार्य का समाधान किया है। इसलिए किसानों की मूल समस्या जैसे : फसल के बीजों  एवं उर्बरक की उपलब्धता, सिचाई हेतु जल की समस्या, फसल संरक्षण एवं सुरक्षा, उचित दाम, और व्यवस्थाओं में अनमितता। इन सभी मुद्दों पर हमने समाधान को तैयार किया है।

बीज/खाद का प्रबंधन : किसान की पहली समस्या कृषि सामग्री की उपलब्धता। जिसका पूर्ण प्रबंधन करने के लिए कृषि सामग्री वितरण करने वाले सरकारी एवं निजी सभी संस्थाओं को एक कोर प्रणाली के तहत इंपैनल किया है। इस प्रणाली द्वारा देश के सभी छोटे बड़े कृषि सामग्री वितरण करने वाले केंद्रों  स्टॉक, वितरण और मूल्य पर नियंत्रण होगा। देश के हर एक किसान को यह ज्ञात होता रहेगा कि किस केंद्र के पास कौन-कौन सी और कितनी कृषि सामग्री उपलब्ध है।   

इस प्रकार कृषि सामग्री बिक्री केंद्रों की मन-माने मूल्य और कालाबाज़ारी करने वालों पर हमारी सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा। किसानों की मांग के अनुसार बिक्री केंद्रों को खोला जायेगा। जिससे उन्हें बीज और खाद सुलभता से मिल सके।

बिक्री केंद्रों की मनमानी को नियंत्रित करने के लिए, किसानों को टोलफ्री न0 दिया जायेगा। ताकि किसान शिकायत दर्ज कर सके और स्टॉक की उपलब्धता आदि के बारे में त्वरित जानकारी प्राप्त कर सकेगा।

सिचाई प्रबंधन : वर्तमान सिचाई के तीन स्रोतों पर किसान निर्भर है। पहला : वर्षा का जल।  दूसरा : नदियों एवं नहरों द्वारा। और तीसरा : भूमि गत जल द्वारा । इन तीनों में किसान को भिन्न-भिन्न समस्याओं को झेलना पड़ता है। हम दो विकल्पों  द्वारा इस समस्या का समाधान करेंगे।

 वर्षा जल का प्रबंधन :

वर्षा जल के संचय के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ी है। इस मामले में सरकार के प्रयास इतने धीमी है। कि वर्षा अधिक होने पर बाढ़ का खतरा और वर्षा कम होने पर सूखे का खतरा किसान को झेलना पड़ता है। यानि  फ़सलों का नुकसान होना तय है। हमारी सरकार इस समस्या से निपटने के लिए दो प्रकल्प चलायेगी।

पहला : बाढ़ की स्थिति वाली सभी नदियों को नहरों से जोड़ना। हम सूखा ग्रस्त क्षेत्रों तक नहरों को विस्तारित करेंगे और हर छोटी नदियों का जीर्णोद्धार करना। साथ ही नदियों के दोनों किनारों को बांध द्वारा सुरक्षित करना।दूसरा : भू-रिचार्ज के लिए शहर, नगर ग्राम स्तर पर या जहाँ अधिक जल इक्कठा होने वाली जगहों पर फ़िल्टर टियूब  भू-रिचार्ज प्लांट लगाया जायेगा। जिससे हम जो भूमि-गत जल का दोहन करते है, उतना जल हम भूमि के अंदर भेज सके। इस प्रकार हम भूमि-गत जल की समस्या को समाप्त कर संकेगे।

फसल सुरक्षा और उचित मुल्यः- किसान तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद काफी हद तक फसल उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। किसान फसल उत्पादन कर लेने के उपरांत दो बड़ी समस्याओं का सामना करता है।  पहला : अनाज की सुरक्षा और दूसरा : उचित मूल्य मिलना। जिसे पूरा करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। इसीलिए हमने अनाज की सुरक्षा और न्यूनतम उचित मूल्य, किसान को त्वरित मिल सके, इसके लिए एक तकनीकी को विकसित किया है।

अनाज की सुरक्षा प्रबंधन : आज भी लाखों टन अनाज भंडार गृह के कमी के कारण  सड़ जाते है। इसलिए हमारी सरकार क्षेत्र की उत्पादन क्षमता के अनुसार भंडारण गृहों का निर्माण कराएगी। इस प्रकार गेहूं , धन, दलहन और तिलहन हेतु  भंडार गृह। सब्जी और फल आदि के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाया जायेगा। साथ ही परिरक्षक और पैकेजिंग केंद्र को भी स्थापित किया जायेगा। कम समय में ख़राब होने वाले फल और सब्जियों  को मार्किट तक पहुंचाने का प्रबंधन किया जायेगा।

किसान को इन भंडारों में अपने अनाज, फल, सब्जियों आदि को सुरक्षित रखने की पूरी आजादी दी जाएगी। खाद्यान्न की बिक्री तक, किसानों से किराया मूल्य नहीं लिया जाएगा। । इस प्रणाली में, किसान घर बैठे और ऐप के माध्यम से अपना अनाज बेच सकेगा।

उचित मूल्य : वर्तमान में धान, गेहूं, दलहन, तिलहन का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। हमारी सरकार फलों और सब्जियों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करेगी। हम किसानों को समृद्ध बनाने और जैविक कृषि को बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ अधिकतम समर्थन मूल्य प्रदान करेंगे। हम फसल की जैविक उत्पादन गुणवत्ता के अनुसार यह तय करेंगे।

इस प्रकार किसान द्वारा धान, गेहूं , दलहन, तिलहन और सब्जियों में आलू ,प्याज, लहसुन आदि जो भी भंडारित करता है। हमारी सरकार निर्धारित न्यूनतम मूल्य के हिसाब से, कुल भण्डारण का २५ प्रतिशत भुगतान त्वरित करेगी। जिन अनाजों पर सरकार का स्वामित्व होगा।

बेचने की स्वतंत्रता : हम किसानों को देश भर में अपने अनाज, बेचने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करेंगे। जिसे हम एक साझा तकनीकी के माध्यम से संचालित करेंगे। जिससे किसान सीधा देश के किसी भी व्यापारी से संपर्क कर सकेगा और अपने उत्पाद बेच सकेगा। इसके लिए हम मिनिमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) और अधिकतम रिटेल प्राइस (एमआरपी) सुनिश्चित करेंगे। जिससे देश का व्यापारी किसान से सीधा अनाज खरीद कर सके। इस प्रकार मूल्य निर्धारण, मॅहगाई और काला बाजारी करने वालों पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा।

हमारी सरकार किसान को दो मजबूत मंच देने जा रही है। पहला: किसान ऐप के जरिए देश के किसी भी व्यापारी को अपना अनाज बेच सकेगा। दूसरा: “किसान मंडी” जो स्थानीय बाजार होगा। वह स्वयं या व्यवसायी द्वारा खाद्यान्न बेच सकेगा। खाद्यान्न की बिक्री नहीं होने की स्थिति में सरकार दो महीने के भीतर शेष अनाज का भुगतान करेगी।

हमारी सरकार अनाज, फल और सब्जियों को टैक्स से मुक्त रखेगी। किसान एक नंबर की पुष्टि के आधार पर एक आसान प्रक्रिया के माध्यम से जीएसटी को प्राप्त करने में सक्षम होगा। इसके माध्यम से किसान द्वारा बेचे गए अनाज का डेटा स्पष्ट हो जाएगा।

हमारी सरकार अनाज/फल/सब्जी आदि के मूल्य निर्धारण के लिए केंद्रीय और राज्य स्तर पर एक समिति का गठन करेगी।  जो देश भर के किसान द्वारा उत्पादन लागत मूल्यों के आधार पर समीक्षा करेगी। यह समिति देश के अलग-अलग राज्यों की मांग के अनुसार, किसानों के साझा कार्यक्रम के तहत  अनाज/फल/सब्जी आदि की पूर्ति करने का काम करेगी।

इस प्रकार एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजे गये फ़सलों पर यात्रा भार तथा बेकार मूल्य लागत को जोड़कर राज्य सरकार मंडी मूल्य निर्धारित करेगी। इस प्रकार हम किसानों को फसल का लागत मूल्य के साथ लाभ दे सकेगें तथा जनता को महँगाई की मार से बचा सकेगें। इस प्रक्रिया में कालाबाजारीयों की स्थिति पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा।

इस प्रक्रिया से सरकार, जनता और व्यापारी को देश के प्रत्येक भंडार गृह में रखे अनाज की स्थिति ज्ञात कर सकते है। साथ ही किस किसान के पास कितना अनाज, वर्तमान में कहाँ-कहाँ है। इसकी वास्तविक स्थिति का आकलन भी किया जा सकेगा। इस तरह महँगाई को  नियंत्रण करने में उचित कदम उठाये जा सकते है।

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