निविदा प्रबंधन समाधान नीति 2019
वर्तमान में निविदाओं के लिए सरकार ने ऑनलाइन व्यवस्था प्रणाली को विकसित किया है। जिसमें व्यक्ति सरकार द्वारा माँगे गए निविदा के आधार पर कम्पनी/फर्म/संस्थान अपनी दस्तावेजी कार्यवाही को पूरा करते है। आप ने देखा हो कि पहले हमें भारी भरकम फाइलों को जमा करना पड़ता था और इन फाईलों को अधिकारी जाँच करके सत्यापित करता था। आज भी ऐसा ही होता है, ऑनलाइन के नाम पर आप कम्पनी/फर्म/संस्था के डिजिटल साइन बनवाते है। सभी दस्तावेज़ों को अपलोड करना पड़ता है, और इन्ही आधारों डिजिटल साइन बनाया जाता है और अपनी निविदाओं को ऑनलाइन आवेदन किया जाता हैं। इसके बाद में आपको फाइलों को भी जमा किया जाता है। इस प्रणाली में इस बात की पुष्टि नहीं किया जा सकता कि जो दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए है, वे पूर्णतः सही है क्योंकि इनके सत्यापन का कोई स्पष्ट मानक नहीं है। इस प्रकार पहले की तरह आज भी जाँच अधिकारी कमियों और सुविधा शुल्क न देने के कारण निविदा को अस्वीकार कर दिया जाता है। आज भी जो सुविधा शुल्क देने में सक्षम है, उन्हीं की फाइलों का सत्यापन किया जाता है। इस प्रकार हम देखते है कि पहले और आज में कोई विशेष अंतर नही है।
हमारी सरकार इस व्यवस्था को पूर्णत समाप्त करेगी। क्योंकि हमने एक नई तकनीकी के साथ पारदर्शी व्यवस्था को विकसित किया है। इस प्रणाली में दस्तावेज़ों की उपयोगिता न के बराबर होगी। सभी सत्यापनो की प्रक्रियाओं को पूर्णतयः सॉफ्टवेयर प्रणाली के आधार पर किया जाएगा। जिसमें व्यक्ति को निविदा पंजीकरण, शुल्क निर्धारण, सत्यापन, और काम की गुणवत्ता आदि की जाँच, एक प्रणाली पर काम करेगा। जो इस प्रकार होगा।
निविदा पंजीकरण प्रणाली : आज तक निविदा पंजीकरण के लिए आमंत्रण निकले जाते है और उनको टेंडर दिए जाने की परंपरा रही है। किंतु हमारी यह प्रणाली आने से हम ऐसे कंपनी फार्म आदि को जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने में सक्षम है। निविदा का आधार तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा होगा। जिन आधारों पर अलग-अलग कार्य क्षेत्र एवं क्षमता के आधार पर पंजीकरण किया जायेगा। सभी को इंपैनल किया जायेगा। जो एक कोर प्रणाली पर काम करंगे।
इन पंजीकृत संस्थाओं को स्वयं के शैक्षिक मानक, अनुभव की गुणवत्ता एवं संसाधनों के आधार पर निविदा सूची में रखा जायेगा। इस प्रकार हमारी सरकार द्वारा कार्य की आवश्यकता के आधार पर निविदा हेतु , उन सभी संस्थाओं को निमंत्रण भेजेगी। जिनका चयन प्रणाली पारदर्शी प्रणाली के आधार पर होगा जो निविदा मांग की गुणवत्ता, समयसीमा और बजट सभी का सही स्पष्टीकरण देगा उन्ही को निविदा दिया जायेगा।
निविदा पंजीकरण की योग्यता : ऐसे सभी लोगो जो निचे दिए गए तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा और अनुभव प्राप्त है वे अपना पंजीकरण कर सकते है। जैसे :
शहर के विकास और इंफ्राटक्चर के लिए सिविल इंजीनियरिंग की योग्यता ली जाती है। सिविल , स्ट्रक्चरल, आर्किटेक्चरल इंजीनियरिंग डिग्री धारक संबंधित निविदाओं के पंजीकरण के लिए मान्य किया जायेगा। .
रोबोटिक्स, मैक्रोइलेक्ट्रॉनिक, मेचट्रॉनिक्से लेक्ट्रिकल , इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर इंजीनियरिंग डिग्री धारक संबंधित निविदाओं के पंजीकरण के लिए मान्य किया जायेगा।
मकेनिकल के तहत तमाम इंजीनियर जैसे बिओमेडिकल बिओमेचानिकल ऑटोमोटिव , मैकेनिकल एयरोस्पेस इंजीनियरिंग डिग्री धारक संबंधित निविदाओं के पंजीकरण के लिए मान्य किया जायेगा। .
मैटेरियल्स साइंस , सस्टेनेबिलिटी डिज़ाइन, एनवायर्नमेंटल , केमिकल, एग्रीकल्चरल, पेपर इंजीनियरिंग डिग्री धारक संबंधित निविदाओं के पंजीकरण के लिए मान्य किया जायेगा।
सिस्टम्स, इंडस्ट्रियल, मैन्युफैक्चरिंग, इंजीनियरिंग मैनेजमेंट डिग्री धारक संबंधित निविदाओं के पंजीकरण के लिए मान्य किया जायेगा। .
जियोलाजिकल, इंजीनियरिंग फिजिक्स, मरीन , माइनिंग सिरेमिक्स, फोटोनिक्स जोमेटिक्स, नुक्लेअर, नैनोटेक्नोलाजी ,मेटलर्जिकल, पेट्रोलियम, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट डिग्री धारक सम्बंधित निविदाओं के पंजीकरण के लिए मान्य किया जायेगा।
अगर संबंधित डिग्री धारक किसी भी सरकारी पद पर कार्यरत है तो उसे निविदा भरने का कोई अधिकार नहीं होगा। यह अधिकार केवल निजी रूप से कार्य करने वाले संस्थाओं को प्राप्त होगा।
पंजीकरण सत्यापन आधार :- उक्त में जैसा मैंने कहा है कि भारतीय पहचान संख्या पात्रता के आधार ही संबंधित विभाग किसी भी कम्पनी/फर्म/संस्था का पंजीकरण करेगी। संबंधित विभाग निविदा मांगपत्रो के आधार पर कम्पनी/फर्म/संस्था से समस्त दस्तावेज़ों को सत्यापन अपने स्तर पर करेगी। संस्थाओं के सत्यापन पुष्टि के आधार पर उन्हें चयन कर अनुमोदन करेगी।
इस प्रकार अस्वीकृत संस्थाएं अपने कमियों को पूर्ण करने के उपरांत वह अगले प्रस्ताव के लिए पंजीकरण के आवेदन के लिए स्वतंत्र होंगे । सरकार के मानक शर्तों को पूर्ण करने के उपरान्त उसे अनुमोदन प्राप्त होगा। इस प्रणली में संस्था की गतिविधियों पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा। जिससे कार्य की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।