मतदाता कार्डः- – वर्तमान मतदाता कार्ड में बहुत सी ख़ामियाँ है
स्थानीय प्रतिनिधि और अधिकारीयों द्वारा वोट और नोट के लालच में बिना कोई जांच के व्यक्ति की पुष्टि कर दिया जाता है। यह चुनाव से पहले होने वाले परिसीमन और सर्वे के आधार पर नये मतदाताओं को जोड़ा जाता है। जिनकी नागरिकता की जांच न स्थानीय अधिकारी करता है और न ही स्थानीय प्रतिनिधि।
प्रथम : इस प्रकार फर्जी मतदाताओं के साथ नकली नागरिकता की स्थिति बेरोकटोक जारी है। अब तक, सरकार के पास जांच का कोई ठोस त्वरित पुष्टि मानक नहीं है। ऐसे में घर-घर जाँच करने वाले कर्मचारियों की लापरवाही के कारण व्यक्तियों के नाम और संबंधित विवरण दूसरों से पूछ कर लिख देते हैं। इस तरह, हम देखते हैं कि हमारे मतदाता कार्ड में नाम, पता और जन्म तिथि के कई दोष मिलते हैं। जिसे हमारे प्रतिनिधि और मौजूदा सरकार, इसका लाभ उठती हुई नजर आती है। इसमे ऐसे तमाम खामियां होन के कारण, मौजूदा सरकार के प्रतिनिधि, मतदाता के नाम कटवाने, सूची में फेरबदल करवाने, अपने पार्टीगत वोट की जुगत में नए, बाहरी और फर्जी नामो को सम्मलित करवाने की घटनाएं आम है।
दूसरा : एक ही व्यक्ति के दो स्थानों पर मकान होने की दशा मे, व्यक्ति के दो-दो मतदाता पहचान पत्र बना दिय जाते है। इस तरह से वे दो-दो राशन कार्ड भी बनवा लेते है। ऐसे में हम देखते है कि न सरकार के पास मतदाता के सही आंकड़े है और न ही मतदान के सही पैमाने। ऐसे में फर्जी वोट की संभावना हमेशा बनी रहती है।
चुनाव से पहले हम देखते है कि हमारे स्थानिय प्रतिनिधियों द्वारा एक ही व्यक्ति के कई मतदाता कार्ड फर्जी तरीके से भी बनवा दिए जातें है। जिसका इस्तेमाल फर्जी रूप से वोट डालने के रूप में किया जाता है। वोट की राजनीति के लिए लिस्ट में उलट फेर की समस्या आम है। जिससे मतदान में भारी मात्र में घपलेबाजी और मतदान का प्रतिशत का कम होना यह सिद्ध करता है कि वर्तमान मतदाताकार्ड मापदण्डों के आधार पर सही नही है। इसलिए इसे और आधुनिक बनाने की जरूरत है।
2018 से सरकार ने मतदाता कार्ड को ऑनलाइन करना प्रारंभ किया है। इस प्रणाली में कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन आवेदन कर मतदाता कार्ड बनवा सकता है। जिसमे नागरिकता की पुष्टि का कोई आधार नही माँगा जाता है। इस प्रकार हम पाते है कि इतनी आधुनिकता के बाद भी मतदाता कार्ड बनवाने की प्रक्रिया में कोई बेहतर सुधार नही हो पाया है। जो मतदाता कार्ड स्थानीय अधिकारी पहले बनाते थे वही प्रक्रिया ऑनलाइन है। जिसमे आज भी फर्जी दस्तावेज बनवा कर इसे आसानी से बनवा लेते है ।
भारत महापरिवार पार्टी इस समस्या के समाधान के लिए एक आधुनिक प्रणाली को विकसित किया है। हमने सबसे पहले नागरिकता के आंकड़ों को स्पष्ट करने के लिए भारतीय पहचान संख्या की एक आधुनिक प्रणाली विकसित किया है। यह पहचान संख्या बच्चे के जन्म के साथ ही माता पिता के पुष्टि द्वारा दिया जाएगा। इस प्रकार संविधान के अनुच्छेद 325 व 326 के अनुसार प्रत्येक व्यस्क (आयु सीमा 18 वर्ष) नागरिक को ( जो पागल या अपराधी न हो ) मतदाता संख्या स्वतः सक्रिय हो जाएगा। इस प्रणाली के लागू हो जाने से संबंधित विभाग मतदाता और मतदान को एक स्थान से नियंत्रित कर सकेगा। ऐसे में मतदान के अधिकार प्रबंधन करना आसान होगा। फर्जी मतदाता की सम्भावनों को सामप्त किया जा सकेगा ।
इस प्रणाली से दो बड़ी समस्या को हल किया जा सकेगा। पहला परिवार में माता-पिता और दो बच्चों को ही मतदान का अधिकार देकर जनसँख्या को नियंत्रित किया जा सकेगा। दूसरा “राइट टू रिकॉल” के अधिकार को लागू किया जा सकता है और प्रतिनिधियों के मन-माने कार्यों को नियंत्रित किया जा सकता है।
मतदान प्रक्रिया और गणनाओं को आज भी पुराने तौर तरिको द्वारा ही पूरा कराया जाता है। हम देखते है कि देश के विभिन्न राज्यों में दूसरे तीसरे माह में चुनाव होते ही रहते है, ऐसे में मतदान की स्थिति किसी न किसी राज्य में बना ही रहता है। इस प्रणाली में सरकार का काफी धन खर्च होता है और महगांई का बोझ जनता पर लाद दिया जाता है। इस प्रणाली के लागू होने से कम से कम खर्च में मतदाता और मतदान का प्रबंधन किया जा सकेगा।
वर्तमान मतदाता पहचान पत्र के इन्ही खामिया होने के कारण। इसे लोग फर्जी तरीके से भी बनवा लेते है। और इस पुष्टि के आधार पर अन्य पहचान पत्र, जैसे राशन कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड, बनवाने में सफल हो जाते है। ऐसे लोग इन पहचान पत्रों द्वारा व्यावसायिक रजिस्ट्रेशन कराकर, सरकार और जनता दोनों को धोखा देने में सफल हो जाते है। यह एक बड़ी और विकट समस्या है। इस प्रणाली के आने से पूर्णतः समाप्त हो जायेगा।
देश में हाल ही में विशिष्ट पहचान पत्र ( आधार कार्ड ), जिन पहचान-पत्रों के आधार पर बना है। वह कही न कही बहार से आये व्यक्तियों की नागरिकता के पुष्टि का आधार बन गया है।
मतदाता की मृत्यु होने बाद भी मतदाता सूचि में नाम बना रहता है। ऐसे बहुत से परिवार है, जिन्हे मृत्यु प्रमाण-पत्र की बहुत जरुरत न होने पर, उसे देर से बनवाते है। ऐसे बहुत से परिवार सरकारी तंत्र में समय और पैसे खर्च करने के कारण मृत्यु रजिस्ट्रेशन नहीं कराते है। ऐसे भी मामले आते है, जिनके घर में कोई अन्य सदस्य न होने पर, मृत्यु रजिस्ट्रेशन नहीं हो पता है। ऐसे में उनका नाम मतदाता सूचि में बना रहता है। इस तरह हम फर्जी मतदान को न्यौता दे रहे होते है। भारतीय पहचान संख्या आने पर यह स्थिति भी सदा के लिए समाप्त हो जायेगा।
आधुनिक मतदाता कार्ड – आधुनिक मतदाता प्रणाली में मतदाता को कोई कार्ड बनवाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। यह एक मतदाता संख्या के रूप में होगा। जो भारतीय पहचान संख्या पुष्टि के आधार पर, नागरिक की आयु सीमा 18 वर्ष पूर्ण होने पर मतदाता संख्या स्वतः सक्रिय हो जाएगा। जिसके अंतर्गत किसी नागरिक को मतदाता कार्ड के लिए आवेदन कराने की आवश्यकता नही होगी। और ना ही चुनाव से पहले मतदाता जोड़ने की आवश्यकता होगी। इस प्रणाली से स्थानीय मतदाता कार्ड बनवाने की प्रक्रिया पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त होगा। इस तरह इस प्रक्रिया में होने वाले धन खर्च को भी बचाया जा सकेगा।
मतदान की आधुनिक तकनीकिः- वर्तमान मतदान व्यवस्था को समाप्त करके हमने लाईव ईवीएम द्वारा मतदान प्रणाली को विकसित किया है। इस प्रणाली द्वारा, हम कम से कम खर्च में किसी भी चुनाव को करा सकेंगे। मतदान के साथ-साथ उसका परिणाम भी प्राप्त कर सकते है। इस प्रणाली द्वारा पूर्णतः पारदर्शी मतदान होगा। मतदाता अपने चुनाव क्षेत्र से बाहर होने की दशा मे भी मतदान कर सकेगा। वह किसी भी बुथ से मतदान कर सकता है। इस प्रणाली द्वारा मतदान के प्रतिशत को बढ़ाया जा सकेगा और एक सफल सरकार चुनने में देश को मदद मिलेगी।
लाइव ईवीएम क्या हैः
इस आधुनिक प्रणाली से मतदान के साथ मत गणना एक साथ होता रहेगा।
इस यंत्र में मतदाता को चार तरह के पुष्टि करने की सुबिधा दी जाएगी। एक ही पैनल होगा, इसके साथ अन्य कोई उपकरण नहीं होगा। यह एक लंबी स्क्रीन टेवलेट पैनल की तरह होगा। जिसमें बाएं तरफ पार्टी के चिन्ह एवं उम्मीदवार के नाम के सामने एक स्क्रीन बटन दिया जाएगा।
डिस्प्लै स्क्रीन के फ्रंट में कैंमरा होगा जो फेस स्कैन से मतदाता की पुष्टि करेगा। दाहिनी तरफ एक छोटा डिसप्ले स्क्रीन होगा। उसी के निचे नंबर बटन होगा। उसके नीचे अंगूठा स्कैन और पैनल के बाहरी तरफ कार्ड स्वाईप जुड़ा होगा। इस प्रकार मतदाता चारों में से किसी एक द्वारा अपनी पुष्टि कर सकेगा। मतदाता के पुष्टि के उपरान्त उसके बाएं स्कीन पर सभी पार्टीयों के चुनाव चिन्ह के साथ प्रत्याशी का नाम आ जाएगा। जिसके सामने वाले बटन दबाने से उस प्रत्याशी को वोट चला जाएगा।
यह एक रियल टॉइम सॉफ्टवेयर प्रणाली पर काम करेगा। जो बहुत सारे सुरक्षा मानकों से सुरक्षित होगा। जो जिसमें किसी प्रकार का फेरबदल करना असंभव होगा। इस प्रणाली में पारदर्शी मतदान की सम्भावना होगी।
सरकार को लाभः-
जैसा मैने उक्त में कहा है कि मतदान और मतगणना एक साथ होगा। इस प्रणाली में सरकार के स्थानिय जिला निर्वाचन कार्यालय, प्रदेश निर्वाचन कार्यालय और केन्द्रीय निर्वाचन कार्यालय में इस मतगणना की रिजल्ट उनके स्क्रिन पर दिखता रहेगा। इस तरह निर्वाचन अधिकारी चुनाव समाप्त होने के तुरन्त बाद इसकी घोषण तमाम आधुनिक माध्यमों द्वारा कर सकेगा। जिससे देश की जनता को जीते हुए प्रत्याशी के बारे में त्वरित जानकारी हो सकेगा। इस प्रणाली से मतगणना में होने वाले समय और धन की बचत कर पाएंगे।
मतदान और मतदाता में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा। बूथ कैपचरिंग और होने वाले हिंसा को समाप्त किया जा सकेगा।
मतदान प्रबंधन के लिए कम से कम कर्मचारियों एवं अधिकारियों की जरुरत पड़ेगी। प्रबंधन और सुरक्षा कार्य में लगे लोग भी मतदान कर सकेंगे। इस तरह चुनाव प्रबंधन आदि के खर्च में कमी आएगी। साथ ही महगाई दर को नियंत्रित किया जा सकेगा। जनता पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।
प्रत्येक वर्ष परिसीमन का खर्च आधिभार नही होगा। चुनाव संपन्नता के लिए केन्द्रीय फोर्स की आवश्यकता होगी तथा अन्य खर्चों को बचाया जा सकेगा तथा 99 प्रतिशत हिंसा मुक्त मतदान की सम्भावना बन सकेंगी । इस प्रणाली से देश में होने वाले चुनाव खर्च में 50 प्रतिशत से अधिक घटाया जा सकेगा।
इस प्रणाली में “चुनाव आयोग” आंतरिक प्रबंधन के साथ। एक स्थान पर बैठकर देश के हर छोटे बड़े चुनावों में मतदान और मतदाता दोनों को एक साथ नियंत्रण कर सकेगी।
इस प्रणाली से सरकार जनसंख्या नियंत्रण के अधिकार को नियंत्रित करने की पहल कर सकेगी। जिसके अंतर्गत परिवार नियोजन को प्रभावी बनाने के लिए मतदान अधिकार को नियंत्रित कर सकना आसान होगा। जिससे मतदान और मतदाता का पूर्ण नियंत्रण होने पर, जनसंख्या को नियंत्रण के लिए नियम बनाये जा सकते है। साथ ही “राइट टू रिकॉल” का अधिकार जनता को देने के लिए नियम बनाये जा सकते है।
मतदाता को लाभः-
जैसा मैंने उपरोक्त में बताया है। मतदाता कोई भी छोटे-बड़े चुनाव में अपने मतदान केन्द्र से बाहर रहने की स्थिति में भी, अपने प्रत्यासी को मतदान कर सकेगा है।
लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए तथा देश को विकासमुखी बनाने के लिए मतदाता को “राईट टू रिकॉल” का आधिकार दिया जाएगा। यह प्रक्रिया केवल लाईव ईवीएम प्रणाली द्वारा सम्भव हो सकता है। क्योकि समस्त चुनाव प्रक्रिया के साथ मतदान और मतदाता दोनों को एक स्थान से नियंत्रित किया जा सकेगा।
जिससे हम एक सशक्त पारदर्शी, लोकतंत्र का निर्माण कर सकते है।
इस प्रक्रिया में देश के चुनाव प्रबंधन के व्यवस्थापन में लगे कर्मचारी, अधिकारी, पुलिस फोर्स, तथा ऐसे नागरिक जो देश के अन्य राज्यों मं निजी कंपनीयों में आफिसर रैंक पर कार्यरत मतदाता सम्मलित किए जाऐंगे। उन्हें मोबाईल द्वारा मतदान की सुविधा प्रदान की जाएगी। जिसकी एक विशेष प्रक्रिया के तहत मतदान का अधिकार दिया जायेगा।
इस प्रणाली में मतदाता को बार-बार पहचान पुष्टि नहीं करना होगा । मतदाता सूचि में नाम देखने और पर्ची बनवाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। मतदाता कार्ड के लिए भी कोई जरुरत नहीं पड़ेगी। यह स्वतः १८ वर्ष उपरांत संख्या केरूप में आपके भारतीय पहचान पत्र से जुड़ जायेगा। इस तरह आप मतदान के योग्य हो जायेंगे।