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विद्युत मामलों का आधुनिक प्रबंधन

भारत की औसत प्रति व्यक्ति उर्जा उपभोग 914 यूनिट/सालाना है। चीन का 4000 और अमेरिका का 14000 यूनिट है देश मे दिन प्रतिदिन विद्युत माँग बढ़ता जा रहा है। आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी भारत में लगभग 30 करोड़ लोग बिजली के बगैर रह रहे हैं। यह बड़ी त्रासदी स्थिति है, बिजली की कमी, आय बढ़ाने की कमी को सीमित कर देती है।  जिससे गरीबी परिवारों की उत्पादकता, खासकर महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतिकरण योजना (आरजीजीवीवाई) के अर्न्तगत जिन गावों में बिजली के तार लगाये जाते है। उस गांव को बिजली सम्पन्न मान लिया जाता है। उनमें वास्तव में बिजली आई है, या नही।  या बिजली का उपभोग कर रहे है, या नही।  इस पर विचार नही किया जाता। इस प्रकार आधिकारिक रूप से बिजली सम्पन्न किसी गांव के शेष घरों की स्थिति वांछनीय नही है।

अवरुद्ध पड़ी बिजली सृजन क्षमता: इस समस्या की जड़ 4 वर्षो (वित्त वर्ष 2010-14) में कोयला आधारित बिजली सृजन क्षमता में 73 फीसदी की बढ़ोत्तरी 14.7 फीसदी चक्र-वृद्धि सालाना वृद्धि दर) रही जबकि इस अवधि के दौरान कोयला उत्पादन में केवल 6.1 फीसदी (1.5 फीसदी चक्र-वृद्धि सालाना वृद्धि दर) की बढ़ोत्तरी रही। कोयला उत्पादन पर्यावरण मंजूरी प्रक्रिया में जटिलताओं और मनमानेपन की वजह से सुस्त पड़ रहा। ठीक इसी प्रकार लगभग 24,000 मेगावाट के गैस आधारित बिजली संयंत्र गैस की कमी की वजह से बाधित पड़े है। इसके परिणाम स्वरूप अरबों डॉलर के निवेश रूके पड़ें है।

हमारी विशाल पन बिजली क्षमताओं का अधिकतम क्षमता से कम उपयोंगः- पेशेवर तरीके से आंदोलन करने वाले अक्सर राज्य स्तरीय कानून व्यवस्था मुद्दों को हवा देते हैं। भारत के पनबिजली क्षेत्र के विकास में राज्यों के बीज लंबे समय से चले आ रहे विवाद बड़ी बाधा साबित हुए हैं। पर्यावरण मंजूरी के लिए थका देने वाले और लगभग अंतहीन देरी ने पनबिजली उत्पादकों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है और इसके परिणाम स्वरूप कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं शुरू नही हो सकी हैं या बाधित पड़ी हैं इस तरह से उत्पादित बिजली से लाभान्वित होने वाले लोगों की प्रतीक्षा लगातार जारी है।

नवीकरणीय उर्जा क्षेत्र पर फोकस की कमीः- नवीकरणीय उर्जा कार्यक्रम की साख को इस वजह से भी बड़ा धक्का लगा है कि 3,210 करोड़ रूपए के बराबर की सब्सिडी की प्रतिबद्धता की गई थी।  लेकिन अभी तक उसका व्यय नही किया गया है। आश्वासन के बावजूद फंड अनुपलब्धता के कारण कई मंजूरी प्राप्त योजनाएं अवरुद्ध पड़ी हैं और उन्हें क्रियान्वित नही किया गया है। इसने नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय को सभी नए प्रतिबंधों पर रोक लगाने और अब तक की दो प्रमुख योजनाओं को सब्सिडी दिए जाने पर संभावित रोक लगाने को बाध्य किया है। पुरानी सब्सिडियों का अलग से वितरण किया जा रहा है।

राष्ट्रीय स्वच्छ उर्जा फंड की शुरूआत नवीकरणीय उर्जा क्षेत्र के वित पोशण के लिए की गई थी। बहरहाल, जो धन जुटाया गया। उसका इस्तेमाल राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किया गया और केवल एक छोटी सी राशि का उपयोग मूल उद्देष्यों के लिए किया गया। 10,254 करोड़ रूपए के बराबर की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जबकि नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय को केवल 4,85 करोड़ रूपए की मामूली रकम जारी की गई । इसकी वजह से देश में उर्जा उद्यमियों को भारी निराशा का सामना करना पड़ा। एक तरफ, भारत की उर्जा सुऱक्षा खतरे में है, तो दूसरी तरफ कई ऐसे गलत कदम उठाए गए जिन्होंने प्रत्यक्ष रूप से भारत में नवीकरणीय उर्जा क्षेत्र की प्रगति को बाधा पहुंचाई है।

अंत-क्षेत्रीय पारेषण बाधाएंः- पारेषण के लिए जरूरी निवेश बढ़ती मांग और सृजन क्षमता के साथ कदम मिलाकर नही रख सका। इसकी वजह से प्रेषण में बाधाएं पैदा हुई और अधिशेष वाले राज्यों (अर्थात छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्य जो खदान निकास के निकट है) से कमी वाले राज्यों ( अर्थात तमिलनाडु) को बिजली के प्रवाह में दिक्कतें आयी।

दयनीय वितरण बुनियादी ढ़ाचाः-

रोज़ाना कई घंटों की लोड शेडिंग और योजनाबद्ध तथा गैरयोजनाबद्ध कटौतियां देश के बड़े हिस्से में एक नियम सी बन गई है। डिस्कॉमां का सालाना संचालन-गत घाटा 70 हजार करोड़ रूपए का है संचित नुकसान 2,52,000 करोड़ रूपए का है तथा कुल कर्ज 3,04,000 करोड़ रूपए का है।

यह स्थिति मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर बिजली चोरी की वजह से है एटी एंड सी (सालाना तकनीकि एवं वाणिज्यिक) नुकसान 25 फीसदी का है जिसमें कुछ राज्यों की स्थिति तो बहुत ज्यादा खराब हैः

60 फीसदी से ज्यादा नुकसानः- जम्मू कश्मीर, मणिपुर, नागालैंड और अरूणाचल प्रदेश ।

50 और 60 फीसदी के बीच नुकसानः बिहार और सिक्किम।

40 और 50 फीसदी के बीच नुकसानः उत्तर प्रदेश , झारखंड और उड़ीसा।

विद्युत मामलों का समाधान नीति- 2019

आज विद्युत आधुनिक युग की आधारशिला है। आज हम कौशल विकास, शोध आयामों को बढ़ाने की तो बात करते है लेकिन उन संस्थानों में विद्युत का अभाव है। देश के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की बात करते है लेकिन हम न ही पर्याप्त विद्युत और न ही सस्ता विद्युत। जबकि हम जानते है कि आज विद्युत आधुनिक युग की आधारशिला बन चुका  है।  दुनिया की तमाम टेक्नोलॉजी को गति देने और समय  के साथ चलने की एक धुरी है। या यूँ कहे विद्युत के बिना विकास की कल्पना करना व्यर्थ है। आज विद्युत हर व्यक्ति के विकास की एक धुरी बन चूका है। व्यक्ति की यही जरुरत ही आत्मनिर्भर बनाने के लिए बल देती है। विकास को गति देने वाला क्षेत्र आज निचले स्तर की राजनीति का शिकार हो चुका है और भ्रष्टाचार की सीमा को पार कर चुका है।  

हमने इस क्षेत्र में व्याप्त तमाम चुनौतिओं और समस्याओं के समाधान की नीति को तैयार किया है। हमारी सरकार हर वह छोटी से छोटी सम्भावनाये तलाशेगी। जिससे कम लागत में विद्युत का उत्पादन हो सके। हम योजनाबद्ध तरीके से काम करने की प्रणाली को विकसित किया है। जिससे विद्युत विस्तार योजनाओं को सरल बनाने के साथ हर घर तक तक विद्युत पहुंचे सके। इसके लिए हमने एक आधुनिक तकनीकी को विकसित किया है। 

हमारी सरकार व्यक्ति के विकास को गति देने के लिए कमर्शियल कनेक्शन को अधिकतम ३ रुपया पर यूनिट करेगी। जबकि घरेलू कनेक्शन को हमारी सरकार कई तरह से बाँट कर विद्युत प्रदान करेगी। हम ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्यों के लिए २ रुपया यूनिट और 1०० यूनिट खपत करने वाले परिवार को निःशुल्क विद्युत   दिया जायेगा। शहरी क्षेत्र में २०० यूनिट खर्च करने वाले परिवार को ३ रुपया यूनिट और २०० यूनिट से अधिक खपत करने वाले परिवार को ५ रुपया यूनिट विद्युत मूल्य लिया जायेगा। 

हमारे प्रयास : हम अपने तीन प्रयासों द्वारा विद्युत की हर समस्या का समाधान करेंगे :

प्रथम : विद्युत उत्पादन की हर संभावनाओं को बेहतर बनाना।  जिससे हम देश में विद्युत को स्थाई बना सके। 

दूसरा: विद्युत विस्तार के लिए हमारी सरकार ऑनकॉल  प्रणाली की शुरुआत करेगी। जिसके अंतर्गत हम दो तरह की सुबिधाये जनता को प्रदान करेंगे। अभी तक जहाँ विद्युत नहीं पहुंचा सका है। ऐसे जगहों की मांग को त्वरित पूरा किया जायेगा।  विद्युत की किसी भी समस्या के लिए सरकार से सीधा संपर्क कर सकेंगे।

तीसरा : विद्युत कनेक्शन प्रणाली के अंतर्गत नए कनेक्शन लेने, मिटेर चेंज करने आदि शिकायतों के लिए सीधा संपर्क किया जा सकेगा है। घर बैठे आवेदन करके २४ घंटे के भीतर विद्युत कनेक्शन लिया जा सकेगा। किसी भी प्रकार के  शिकायत आदि का निस्तारण २४ से 48 घंटे में पूरा करने का प्रावधान होगा। 

विद्युत नियंत्रण प्रणाली : विद्युत चोरी आज एक आम समस्या बन चुकी है। इस विषय में मैंने पाया कि ज़्यदातर मामलों में विद्युत विभाग की मिली भगत से यह फल-फूल रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि घर का विद्युत खपत के लिए मीटर तो लगा है किन्तु मोहल्ले के सब ट्रांसफॅर्मर और सुब स्टेशनों पर इसका कोई लोड मीटर नहीं है। जिस कारण से बीच विद्युत चोरी का हिसाब नहीं लगाया जा सकता। सरकार अभी विद्युत चोरी को रोकने के लिए विद्युत तार को अंडरग्राउंड करने के साथ और केबल तार लगा रही है। यह सही तो है लेकिन मुह्हले में लगे ट्रांफमर के पास एक लोडिंग मीटर होना चाहिए जिससे यह पता चल सके कि दिए गए कनेक्शनों की लोडिंग क्या है और कुल लोडिंग कितना है तभी हम विद्युत चोरी को मॉनिटर कर पाएंगे। इसप्रकार हम विद्युत व्यवस्थाओं को नियंत्रित कर सकते है। 

हमारी सरकार   प्रीपेड मीटर के साथ आईपी मीटर की तकनीकी लाएगी। जिससे विद्युत की खर्च की जानकारी व्यक्ति के मोबाइल पर मिलती रहे।  जिससे व्यक्ति को यह भी ज्ञात होगा कि उनकी प्रतिदिन की खपत कितनी है। इस प्रकार हम तमाम प्रबंधनों द्वारा विद्युत व्यवस्था को नियंत्रित करने और लोगो तक  आसान बनाने का कार्य करेंगे।

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