जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने और राम राज्य लाने को लेकर राजनीति की जा रही है। हमने जब हमने इन कथनों पर अध्ययन किया, तो जानकारी हुई कि इन कथनों का अस्तित्व अयोध्या भूमि से जुड़ा हुआ है।
इतना ही नहीं, अयोध्या दुनिया की सबसे पहली उत्तम संस्कार और संस्कृतियों की जन्मभूमि है, गुरूओं और महात्मओं की भूमि रही है, जहाँ का कण कण दिव्य और देवतुल्य है, जहाँ भाइयों के अटूट प्रेम सेवा, त्याग की गाथा, आज भी लोगों को मर्यादा और संस्कार के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती आ रही है।
हमने तो इन कथनों के अस्तित्व को साकार करने और समस्त भारत ही नहीं अपितु विश्व में यहाँ से जुड़ी हुई संस्कार और संस्कृति को पुनः स्थापित करने के लिए अयोध्या को पुनः भारत की राजधनी बनाने का संकल्प लिया है।
क्योंकि आज जहाँ सत्ता /संपत्ति पाने के लिए, एक भाई दूसरे भाई का गला काट रहा है, वहीँ अयोध्या भूमि से जुड़ी संस्कृति में, एक भाई, दूसरे भाई के लिए त्याग कर रहा है जहाँ सत्ता /संपत्ति को पाने के लिए कण मात्र का लोभ नहीं है। जहाँ एक राजा की पत्नी जनता के बीच फैले एक अपवाद को दूर करने के लिए, स्वयं का त्याग करा देती है।
जो आज भी जीवन मूल्यों, आदर्शों के साथ-साथ प्रेम, सेवा और त्याग की उत्कृष्ट मिसाल पेश कर रही है और पूरी मानवता को एक अच्छा जीवन जीने के लिए प्रेरित भी कर रही है। इसलिए मेरा यह भी मानना है कि आज हम अपनी आने वाली पीढ़ी को यहां से जीवन जीने की एक बेहतरीन उदहारण दे सकते हैं।
जहां तक इन तथ्यों की प्रामाणिकता का सवाल है, तो आप अध्ययन करेंगे और पाएंगे कि अयोध्या पूरी पृथ्वी की पहली राजधानी भी थी। युगों तक पूरा भारत वर्ष की राजधानी था। मुगल काल में यह अवध प्रांत की राजधानी भी थी। इसका प्रमाण आपको पुराणों और इतिहास में मिलेगा।
क्या कुछ धर्म विशेष के लोग इसका विरोध नहीं करंगे है?
देखिए हमने यह निर्णय दृष्टि से नही, दृष्टिकोण से लिया है । दृष्टिकोण कहता है कि श्रीराम के भाइयों के समान प्रेम, सेवा और त्याग का उदाहरण पूरी पृथ्वी पर किसी अन्य भूमि पर नहीं मिलता, इसलिए मैंने यह निर्णय लिया है।
जहां तक बात यह है कि दूसरे धर्म के लोग मानते हैं या नहीं। तो इस पर मैं कहना चाहूंगा कि जैसा कि आप भी देख रहे हैं कि चंद पैसों के लालच में आपका भाई भी आपका विरोधी बन जाता है, लोग माता-पिता की सेवा करने के बजाय उन्हें घर से निकाल देते हैं। बेटी जैसी बहू को जिंदा जलाया जा रहा है। जाति और धर्म दूर के विषय हैं।
इसलिए दृष्टिकोण यह कहता है कि 3500 वर्ष पहले तक पूरी दुनिया में कोई दूसरा धर्म नही था। अगर ऐसा नही था तो हम सभी एक ही सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग हैं। आज भले ही हम सभी अलग-अलग धर्मों और जातियों में बंटे हुए हैं। लेकिन हम सब एक सनातन संस्कृति के अंग हैं।
मेरा मतलब सिर्फ इतना है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, या ईसाई, चाहे वह किसी भी धर्म को मानता हो, वह अपने बच्चे को जीवन जीने का उत्तम उदाहरण ही देता है और मानव मर्यादा के साथ जीवन जीने का सबसे उत्तम उदहारण अयोध्या भूमि के अलावा, पूरी दुनिया के किसी अन्य भूमि पर नही मिलता । इसलिए मैंने यह संकल्प लिया है।
अयोध्या को धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी बनाने के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
देखिए, जहां तक अयोध्या को धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी बनाने का सवाल है, तो मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मैं वास्तविक राजधानी दिल्ली को अयोध्या में बदलने की बात कर रहा हूं। क्योंकि मेरा मानना है कि देश की राजधानी देश का केंद्र बिंदु होती है। यह आवश्यक नहीं है कि यह देश के भौगोलिक केंद्र में हो। राजधानी ऐसी होनी चाहिए जहां दुनिया को सबसे अच्छा संदेश दिया जा सके। क्योकि जब दुनिया का कोई व्यक्ति दूसरे देश मे जाने की सोचता है, तो उसका केंद उस देश की राजधानी होता है । यहाँ मेरा सीधा अर्थ यह है, जब भारत ही नही, अपितु दुनिया के लोग इस भूमि पर सर्वप्रथम आयेंगे, तो इस भूमि से जुड़ी मानव मर्यादा, संस्कार और संस्कृति के ज्ञान को साथ लेकर जाएंगे । तभी हम भारत की संस्कार और संस्कृति को फैला पाएंगे । इसलिए मैं वास्तविक राजधानी अयोध्या को बनाने की बात कर रहा हूँ।
क्या वर्तमान राजधानी दिल्ली आने वाली पीढ़ी को गलत सन्देश दे रही है?
जी बिलकुल, आपको बताना चाहूंगा कि दिल्ली महाभारत काल से ही छल,कपट की भूमि बन कर रह गई । मुगलों से लेकर अंग्रेजों ने ऐसी ही विचाधारा से प्रभावित होकर भाई भाई को आपस मे लड़ाकर राज किया। वर्तमान में ऐसे ही धरोहरों से भरा पड़ा है और ऐसी ही विचारों से देश को चलाया जा रहा है। मैं आप सभी से पूछता हूँ क्या आप ऐसी भूमि और विचारों के साथ भारत की संस्कर और संस्कृति को बचा पायेंगे । क्या इसी भूमि से विश्वगुरु की कल्पना ही कि जा सकती है? क्या यहाँ से रामराज्य लाया जा सकता है? जहाँ जाने के बाद शुद्ध मन वाले व्यक्ति के विचार ही बदलाव आ जाता है । इस पर विचार जरूर करें । मेरे हिसाब से ऐसे भूमि पर राजधानी होना भी नही चाहिए।
सरकार वहाँ दूसरा संसद भवन बना चुकी है ?
सरकार गलत कर रही है। स्वयं को सबसे बड़ी राष्ट्रवादी और हिंदूवादी पार्टी कहती है लेकिन राष्ट्रवादी सोच मुझे पूरे कार्यकाल में कही दिखाई नही दे रहा है । मैंने इनके राष्टवादी नीति के सम्बंध में माननीय मोहन भागवत से 9 प्रश्न पूछे थे,
मैं चाहूंगा कि आप उस वीडियों को जरूर देंखें ।
आपके अनुसार फिर भारत का झंडा कहाँ फहराया जाएगा?
लाला किला निर्माण का एक लम्बा इतिहास है इस किले को भले ही तोमर वंस के अनंगपाल ने बनवाया हो लेकिन आज यह मुगलिया संस्कृति की पहचान बन चूका है। जिस किले पर तमाम तमाम राजाओं ने विजय प्राप्त किया और राज किया इसलिए यह एक विजय का प्रतीक हो सकता है। यह इसलिए कि भारत देश को किसी एक राजा ने स्वतंत्र नहीं कराया है। बल्कि आम जनता ने अपने कुर्बानियों और बलिदानो से भारत को स्वतंत्र कराया है इसलिए यह उन लाखों शहीदों का प्रतीक नही हो सकता।
दूसरा इंडिया गेट, जो अंग्रेजों के साम्राज्य को बचाने वाले ब्रिटिश इंडियन आर्मी के 90 हजार सैनिक जो अफगान युद्ध मे मारे गए थे, उनकी याद में बनाया गया था । जो सैनिक हमारे क्रांतिकारी मार रहे थे और गरीब जनता का उत्पीड़न कर रहे थे। वे सब भले ही हममे से एक थे । अगर देखा जाए तो यह भी हमारे शहीदों का प्रतीक नही हो सकता और जहाँ तक बात है राष्ट्रपति और संसद भवन की तो वह भी अंग्रेजों ने बनाया था ।
मैं देश की जनता से पूछना चाहता हूँ कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे लाखों शाहिद लोगों के लिए कौन सा प्रतीक बनाया गया। इसलिए मैं अयोध्या में लाखों शहीदों की याद में भारत द्वार बनाने की मांग करता हूँ जहाँ से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा।
अयोध्या को भारत की राजधानी बनाने के लिए हमने पूरी योजना तैयार कर ली है। इस राजधानी को अष्टचक्र के रूप में विकसित किया जाएगा। जो हमारी मान्यताओं 84, 14 और 5 कोशी परिक्रमा मार्ग को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा। इसमें आठ रूट होंगे। जिसमें से चार मार्ग 84 से 14 कोसी परिक्रमा मार्ग से जुड़ेंगे और चार मार्ग 84 से 14 कोसी से 5 कोसी परिक्रमा मार्ग तक जुड़ेंगे। यह सड़क राजधानी का मेन गेट होगा। इस पूर्व की मुख्य सड़क पर हमारा इंडिया गेट बनेगा, जहां से देश का तिरंगा फहराया जाएगा।
इसके अलावा, हमने पूर्व दिशा में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, विश्वविद्यालय और तमाम रिसर्च संस्थान होंगे । पश्चिम दिशा में रिहायसी कालोनी, अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम स्थापित किया जायेगा । उत्तर दिशा में संसद भवन, सचिवालय और अन्य प्रसाशनिक कार्यालय स्थापित होगा । दक्षिण दिशा में कंपनियों और व्यवसाईक हब के रूप से विकसित किया जाएगा ।
क्या यहां राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट भी बनेगा?
बिल्कुल नहीं, जहां तक राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट का सवाल है, यह दिल्ली में रहेगा, यहां केवल संसद भवन बनाने की बात किया हूँ। तभी हम उत्कृष्ट राजधर्म स्थापित हो पायेगा जो रामराज की वास्तविक परिकल्पना है।
हम अपने राजनितिक सुधार के प्रथम चरण में भारत की संस्कृति को बचाने और विश्वगुरु और रामराज की वास्तविक परिकल्पना को साकार करने के लिए आयोध्या को पुनः भारत की राजधानी बनाने का संकल्प ले चुके है।
हमने यह संकल्प इंडिया रूपी विचारधारा को समाप्त करने और भारत रूपी विचारधारा को स्थापित करने के लिए लिया है।
हमने यह संकल्प भारत की संस्कार और संस्कृति को बचने के लिए लिया है। क्योंकि भारत ज्ञान और उत्तम संस्कार रूपी संस्कृति के कारण विश्वगुरु था।
हम यह संकल्प लोगों के हृदय में प्रेम, त्याग, सेवा और संस्कार को जगाने के साथ आने वाली पीढ़ी को उत्तम उदाहरण देने के लिए लिया है।
हमारा यह संकल्प जन-जन का संकल्प बने, यह भारत ही नहीं, अपितु विश्व भर के लोगों का संकल्प बने, इसके लिए हम संकल्प मित्र बनाने की शुरुआत करने जा रहे है। हम इस अभियान के तहत अयोध्या की मिटटी और सरयू का जल हर घर तक भेजने का प्रयास करेंगे। जिससे हर कोई इस संकल्प से जुड़ सकें है।